The Ultimate Guide To shiv chalisa lyrics with meaning
The Ultimate Guide To shiv chalisa lyrics with meaning
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अर्थ- जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
यह एक चमत्कारीक स्त्रोत है जिसका पाठ करने से भोलेनाथ तो प्रसन्न होते ही है, साथ ही इससे बिगड़े हुए काम भी बन जाते है। इस स्त्रोत के पाठ शिव रात्रि या सावन के महीने में शुभ मानते है। शिव जी की अगर कोई श्रद्धा पूर्वक भक्ति करता है तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। इसी कारण से भोले नाथ को ‘आशुतोष’ के नाम से भी जाना जाता है।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
आपके पास पूजा के लिए दूध दही घी शक्कर शहद यानि website पंचामृत तथा चंदन पुष्प बेलपत्र त्रिशूल डमरू आदि होने चाहिए अगर आपका व्रत है तो शाम को पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें अंत में प्रसाद वितरण करें
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥